मान्यता है कि महिषासुरमर्दिनी के रूप में माँ दुर्गा ने रक्तबीज नाम के राक्षस का वध इसी स्थान पर करके यहां विजयी मुद्रा में तपस्या की. इसलिए यह विजयासन देवी कहलायीं. मंदिर के गर्भगृह में लगभग 400 साल से 2 अखंड ज्योति प्रज्जवलित हैंfrom Latest News मध्य प्रदेश News18 हिंदी https://ift.tt/2n9vCcf
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