गोपाल मंदिर की स्थापना 1921 में ग्वालियर रियासत के तत्कालीन शासक माधवराव सिंधिया प्रथम ने करवाई थी. सिंधिया राजाओं ने भगवान राधा-कृष्ण् की पूजा के लिए चांदी के बर्तन बनवाए थे. साथ ही भगवान के श्रृंगार के लिए रत्तन जड़ित सोने के आभूषण बनवाए थे. इनमें राधा कृष्ण के लिए 55 पन्नों और सात लड़ी का हार, सोने की बांसुरी, सोने की नथ, जंजीर और चांदी के पूजा के बर्तन हैं. रियासतकालीन दौर में भगवान राधाकृष्ण हमेशा ही इन गहनों से सजे रहते थे. आज़ादी के बाद 1956 में जब मध्य प्रदेश राज्य बना तब भगवान के एंटीक गहनों को बैंक के लॉकर में रख दिया गया. पचास साल तक लॉकर में गहने सुरक्षित रहे. साल 2007 में तत्कालीन महापौर ने सरकार से बात कर साल में एक दिन जन्माष्टमी पर इन गहनों से भगवान का श्रृंगार करने की मांग की, सरकार की रजामंदी के बाद हर साल जन्माष्टमी के दिन इन गहनों को सुरक्षा व्यवस्था के बीच बैंक से निकाला जाता है.
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Janmashtami Special : इस मंदिर में जन्माष्टमी पर 100 करोड़ के गहने पहनते हैं राधाकृष्ण, दिलचस्प है कहानी
Janmashtami Special : इस मंदिर में जन्माष्टमी पर 100 करोड़ के गहने पहनते हैं राधाकृष्ण, दिलचस्प है कहानी
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