मध्यप्रदेश की राजनीति में अब फर्जी वोटर को लेकर बवाल शुरू हो गया है. मिशन 2018 को पूरा करने के लिए एक-एक वोट बीजेपी और कांग्रेसके लिए मायने रखता है. ऐसे में फर्जी वोटर चुनाव आयोग के लिए सिरदर्द बन गया है. सवाल यही है कि क्या पुराने फॉर्मूले से 100 प्रतिशत शुद्ध वोटर लिस्ट तैयार हो पाएगी या फिर वोटर को लेकर सियासत घमासान पहले से ज्यादा तेज होगा.राज्य निर्वाचन आयोग ने दावा किया है कि सितंबर में डोर-टू-डोर फॉर्मूले के जरिए 100 प्रतिशत शुद्ध वोटर लिस्ट दी जाएगी. यानि ये वोटर लिस्ट एरर फ्री होगी. आयोग के बीएलओ घर-घर जाकर वोटर लिस्ट की गड़बड़ी को दूर कर उसे अपडेट कर रहे हैं. ये गड़बड़ी फर्जी वोटर की हो या फिर मतदाता के वेरीफिकेशन की हो. सभी पहलुओं पर निर्वाचन आयोग की नजर है.
लेकिन जिस तरह से अकेले भोपाल में 45 हजार संदिग्ध वोटर सामने आए हैं, उसके बाद प्रदेश भर में फर्जी वोटर को लेकर सवाल उठने लगे हैं. कांग्रेस भी 230 विधानसभा सीटों में 60 लाख फर्जी वोटर होने का दावा कर रही है. फर्जी वोटर की ये सबसे बड़ी संख्या है जिसे चुनाव आयोग ठीक करने की बात कह रहा है.
प्रदेश में फर्जी वोटरों को लेकर कांग्रेस लगातार शिकायत कर रही है. कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी के साथ जिलों के कलेक्टर मिले हुए हैं. इसी वजह से फर्जी वोटरों पर रोक नहीं लग पा रही है. बीजेपी का कहना है कि यदि कांग्रेस को कोई आपत्ति है तो वो मतदाता सूची के प्रकाशन के समय अपनी आपत्ति जता सकती है. बीजेपी पर आरोप लगाने से कुछ नहीं होगा.from Latest News मध्य प्रदेश News18 हिंदी https://ift.tt/2IXJQ9O
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